इसलिये तो अगले बरस फिर गणपति जी को आकर अपना जलवा दिखाना ही होगा। इसलिये तो अगले बरस फिर गणपति जी को आकर अपना जलवा दिखाना ही होगा।
दिन ही क्या ,मैं तो हर घड़ी हर पल को उत्सव की तरह मनाता हूँ दिन ही क्या ,मैं तो हर घड़ी हर पल को उत्सव की तरह मनाता हूँ
जीवन उत्सव में बासंती बन, सुगंध के उपवन महकाऊँ।। जीवन उत्सव में बासंती बन, सुगंध के उपवन महकाऊँ।।
और सो जाती है धरती में बीज बन कर पुनः प्रस्फुटित हो, उत्सव मानने को। और सो जाती है धरती में बीज बन कर पुनः प्रस्फुटित हो, उत्सव मानने को।
मृत्यु के क्रूरता भरे पंजों में भी, जीवन को पल्लवित होते देखा है मृत्यु के क्रूरता भरे पंजों में भी, जीवन को पल्लवित होते देखा है
खुशहाल जीवन जीना है तो जिंदा दिल बनिए। खुशहाल जीवन जीना है तो जिंदा दिल बनिए।